“Bihar Ranji Trophy: बिहार की 2 टीमें, मुंबई के खिलाफ एक साथ मैदान में, बवाल के साथ हुआ आरंभ”

Bihar Ranji Trophy

Bihar Ranji Trophy: पटना के प्रसिद्ध मोइनुल स्टेडियम में आयोजित रणजी ट्रॉफी के एक मैच में असामान्य घटनाक्रम देखने को मिला, जब बिहार और मुंबई के बीच होने वाले मुकाबले के लिए बिहार की दो अलग-अलग टीमें मैदान पर पहुंच गईं। बिहार ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का निर्णय लिया था।

हालांकि, मैच शुरू होने से पहले ही, दोनों बिहारी टीमों के बीच अनपेक्षित रूप से तनाव की स्थिति बन गई। यह घटना क्रिकेट के मैदान पर एक अभूतपूर्व और चर्चित क्षण बन गई, जिसने खेल के प्रशंसकों और अधिकारियों को चकित कर दिया।

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रणजी मैच में उत्साह और विवाद का संगम

पटना के प्रतिष्ठित मोइनुल हक स्टेडियम में वर्षों बाद रणजी ट्रॉफी क्रिकेट की वापसी हुई है, जहां बिहार और मुंबई के बीच एलीट ग्रुप का मैच खेला जा रहा है। पहले दिन से ही स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ और उत्साह देखने लायक था।

हालांकि, सोशल मीडिया पर स्टेडियम की दयनीय स्थिति को लेकर विभिन्न फोटो और वीडियो वायरल हो गए, जिसमें पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद द्वारा स्टेडियम की व्यवस्था की आलोचना करते हुए नजर आए।

इस मैच के दौरान एक और चर्चित मुद्दा था बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के आंतरिक विवाद। 5 जनवरी से शुरू हुए इस मैच के लिए बिहार की दो अलग-अलग टीमें मैदान पर पहुंच गईं, जिससे मैच से पहले ही तनाव का माहौल बन गया। इस घटना ने न केवल खेल प्रशंसकों को चकित किया बल्कि खेल प्रबंधन के स्तर पर भी गंभीर सवाल उठाए।

दोहरी टीमों का विवाद

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) के आंतरिक विवाद ने हाल ही में एक अनोखा मोड़ लिया, जब एसोसिएशन ने एक ही मैच के लिए दो अलग-अलग टीमों की सूची जारी कर दी। एक टीम का चयन BCA के अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा किया गया, जबकि दूसरी टीम की सूची बर्खास्त सचिव अमित कुमार द्वारा जारी की गई।

इस दोहरी टीम सूची के कारण, मैच के दिन असमंजस का माहौल बन गया, जिससे खिलाड़ियों और प्रशंसकों में भ्रम और तनाव उत्पन्न हो गया। इस घटना ने न केवल बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की प्रबंधकीय क्षमता पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी दर्शाया कि किस तरह आंतरिक विवाद और असंगठित प्रबंधन खेल के मैदान पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। इस अभूतपूर्व स्थिति ने भारतीय घरेलू क्रिकेट में संगठनात्मक चुनौतियों पर प्रकाश डाला है।

दोहरी टीमों में से एक का चयन और पुलिस हस्तक्षेप

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) के आंतरिक विवाद ने एक नया मोड़ लिया जब दो अलग-अलग टीमों को उसी मैच में खेलने के लिए चुना गया। इस असामान्य स्थिति ने खिलाड़ियों और प्रबंधन के बीच तनाव पैदा कर दिया। दोनों टीमें, एक बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा चुनी गई और दूसरी बर्खास्त सचिव द्वारा, स्टेडियम के बाहर पहुंच गईं, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।

स्थिति को संभालने के लिए पुलिस बल को बुलाया गया, जिन्होंने सचिव गुट की टीम को सख्ती से उनकी बस में बिठाकर स्टेडियम से बाहर भेज दिया। इसके बाद, अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा चुनी गई टीम को मुंबई के खिलाफ मैच खेलने की अनुमति दी गई। इस घटना ने न केवल बीसीए के आंतरिक प्रबंधन में गहरे बैठे मुद्दों को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे संगठनात्मक अव्यवस्था खेल के मैदान पर असर डाल सकती है।

बीसीए के OSD पर हमला

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) की विवादास्पद स्थिति और भी गंभीर हो गई जब उनके अधिकारी पर जानलेवा हमला किया गया। BCA के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD), मनोज कुमार पर कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने हमला किया, जिसमें पत्थरों से उनके सर पर प्रहार किया गया। इस घटना में वे गंभीर रूप से जख्मी हो गए।

इस हिंसक घटना के प्रकाश में आने पर, BCA ने घोषणा की कि इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है और दोषी व्यक्तियों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने न केवल क्रिकेट संगठन के अंदर के विवादों को उजागर किया है बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से खेल के मैदान की घटनाएं व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं। BCA ने यह भी बताया कि वे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आगे अधिक सख्त कदम उठाएंगे, ताकि खेल का माहौल सुरक्षित और स्वस्थ बना रहे।

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