“AI: IMF ने दी चेतावनी, विश्वभर में 40% नौकरियां खतरे में, अमीर देशों को है अधिक खतरा”

AI: वाशिंगटन डीसी में स्थित International Monetary Fund (IMF) ने हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें एआई (AI) (Artificial Intelligence) के वैश्विक श्रम बाजार पर प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार, एआई (AI) तकनीकी के बढ़ते उपयोग के कारण वैश्विक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक असमानताएं बढ़ने का जोखिम है।

इससे न केवल रोजगार के अवसरों पर असर पड़ेगा, बल्कि यह आर्थिक विकास के पैटर्न में भी परिवर्तन ला सकता है। आईएमएफ की यह रिपोर्ट विश्व भर के नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में एक बड़ी चेतावनी जारी की है। उनके अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते उपयोग के कारण दुनिया भर में लगभग 40% नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। इसका असर सभी देशों पर पड़ेगा, लेकिन आईएमएफ के मुताबिक, उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएं, उभरते बाजारों और कम आय वाले देशों की तुलना में, इसके अधिक जोखिम में हैं। यह रिपोर्ट वैश्विक अर्थव्यवस्था और रोजगार केभविष्य पर एक गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाती है।

एआई (AI) तकनीकी का तेजी से विकास और उसका व्यापक उपयोग नौकरियों के स्वरूप और प्रकार में बड़े परिवर्तन का कारण बन सकता है। इससे न केवल उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि यह वैश्विक आर्थिक संरचना और सामाजिक ढांचे पर भी गहरा असर डाल सकता है।

आईएमएफ ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकारों को अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणालियों को अद्यतन करने की आवश्यकता है, ताकि श्रमिकों को एआई (AI) युग में प्रासंगिक कौशल से सुसज्जित किया जा सके। इसके साथ ही, नौकरियों के नए अवसरों की खोज और अर्थव्यवस्थाओं के विविधीकरण पर भी जोर दिया जाना चाहिए। इस तरह, वैश्विक समुदाय एआई के युग में रोजगार की सुरक्षा और स्थायित्व को सुनिश्चित कर सकता है।

एआई (AI) से बढ़ सकती है असमानता

वाशिंगटन डीसी स्थित आईएमएफ ने हाल ही में एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते प्रयोग से वैश्विक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक असमानता बढ़ सकती है। इसके कारण विश्व में सामाजिक तनाव और आर्थिक विषमता में वृद्धि होने की आशंका है।

आईएमएफ की प्रमुख, क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने नीति निर्माताओं को इस परेशान करने वाली प्रवृत्ति के प्रति सचेत रहने और इससे निपटने के लिए उपाय करने का आग्रह किया है।

एआई (AI): विकास और चुनौतियाँ हाथ में हाथ

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने हाल ही में एआई (AI) की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम एक ऐसी तकनीकी क्रांति के दौर में हैं जो उत्पादकता में वृद्धि, वैश्विक विकास में तेजी और आय में बढ़ोतरी ला सकती है।

हालांकि, इसके साथ ही यह भी आशंका है कि एआई के प्रयोग से नौकरियों में कमी और सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं में वृद्धि हो सकती है। इसलिए जॉर्जीवा ने वैश्विक नीति निर्माताओं को इन चुनौतियों के प्रति सतर्क रहने और समग्र विकास की दिशा में कार्य करने की सलाह दी है।

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एआई (AI) का उच्च आय वाले देशों पर भारी प्रभाव

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, उच्च आय वाले देशों में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के बढ़ते प्रयोग से करीब 60% नौकरियां प्रभावित होने की संभावना है। इसमें से लगभग आधी नौकरियां एआई द्वारा उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकती हैं।

वहीं, उभरते बाजारों में यह आंकड़ा 40% के आसपास है, जबकि कम आय वाले देशों में इसके प्रभाव से 26% नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। यह आंकड़े एआई के विकास और उसके वैश्विक श्रम बाजार पर प्रभाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं, और इससे नीति निर्माताओं को इस क्षेत्र में उचित नीतियां और रणनीतियां विकसित करने में मदद मिल सकती है।

एआई (AI) और आय-संपत्ति असमानता का बढ़ता जोखिम

आईएमएफ ने हाल ही में चेतावनी दी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का प्रसार विश्व भर में आय और संपत्ति से जुड़ी असमानताओं को गहरा सकता है। इस तकनीक के विकास से आर्थिक ध्रुवीकरण और भी तेज हो सकता है, जिससे विभिन्न आय वर्गों के बीच की खाई और भी गहरी हो सकती है। आईएमएफ के अनुसार, जो कर्मचारी एआई के लाभों का प्रयोग कर सकते हैं, वे अपनी उत्पादकता और आय में वृद्धि कर सकते हैं। इसके विपरीत, जिन्हें इस तकनीक का लाभ उठाने का अवसर नहीं मिलता, वे और अधिक पिछड़ सकते हैं।

यह स्थिति सामाजिक और आर्थिक विभाजन को और बढ़ा सकती है। आईएमएफ ने इस संबंध में नीति निर्माताओं को समय रहते संज्ञान लेने और समावेशी विकास की दिशा में कार्य करने की सलाह दी है, ताकि एआई के विकास से जुड़े संभावित जोखिमों को कम किया जा सके और इसके लाभ सभी तक पहुँच सकें।

गोल्डमैन सैक्स ने दी एआई से नौकरियों पर प्रभाव की चेतावनी

आर्थिक विश्लेषण के क्षेत्र में अग्रणी, गोल्डमैन सैक्स ने हाल ही में चेतावनी जारी की कि जनरेटिव एआई का प्रभाव विश्वभर में लगभग 30 करोड़ नौकरियों को प्रभावित कर सकता है। इस आंकलन के बावजूद, गोल्डमैन सैक्स ने यह भी संकेत दिया कि एआई प्रौद्योगिकी श्रम उत्पादकता में सुधार ला सकती है और इससे सकल घरेलू उत्पाद में भी 7% तक की वृद्धि संभव है।

इस महत्वपूर्ण खुलासे का समय तब आया जब विश्व आर्थिक मंच की बैठक दावोस, स्विट्जरलैंड में चल रही है, जहां विश्व के अग्रणी कारोबारी और राजनेता “रीबिल्डिंग ट्रस्ट” विषय पर चर्चा कर रहे हैं। इस चेतावनी ने एआई के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

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